ये शाम अपने में मदमस्त है, न भुत न भविष्य है|
ये शाम अपने में मदमस्त है|
इस शाम की हावो में हवा में बहती मेरी रूह है|
मेरी साँस खोती मेरी अंदर, ये वो शाम जब मेरा मन स्थिर है|
आँखों में नमी, चेहरे पे झील सा शांत एहसास है|
आज की शाम मेरी जाम है|
ये शाम अपने में मदमस्त है, न भुत न भविष्य है|
अमित
Nice line composed